
बिजयनगर में नाबालिग छात्राओं से दुष्कर्म और ब्लैकमेल मामले को लेकर प्रदेश खौफजदा है। तीन साल पहले जनवरी 2022 में धरियावद (प्रतापगढ़) में ऐसी ही रोंगटे खड़ी कर देने वाली वारदात सामने आई थी। इसमें कोर्ट में सुनवाई अंतिम दौर में है।
धरियावद मामले की चार्जशीट पढ़ी तो रूह कांपने लगी। 7 बदमाश पीड़िता को सुनसान इलाके में ले जाते, जहां बारी-बारी से दुष्कर्म करते और वीडियो बनाते। नाबालिग बच्ची वीडियो नहीं बनाने की प्रार्थना करती तो बदमाश मारपीट करते। हर बदमाश दो-दो बार रेप करता। एक हाईवे पर निगरानी करता, एक वीडियो बनाता, तीसरा लड़की को पकड़ता और चौथा दुष्कर्म करता। किसी को बताने पर वीडियो वायरल करने की धमकी देते। इसी खौफ के चलते कोई महिला सामने नहीं आई। एसपी की समझाइश पर दो पीड़ितों ने एफआईआर करवाई। जब आरोपियों कहना था कि उनको याद भी नहीं कि कितनी लड़कियों से दुष्कर्म किया।
अदालत में अंतिम दौर की सुनवाई फैसला जल्द आ सकता है। अंतिम दौर की सुनवाई चल रही है। अभियोजन पक्ष की ओर से विशिष्ट लोक अभियोजक तरुण दास बैरागी पैरवी कर रहे हैं। उन्होंने अब तक 145 से ज्यादा दस्तावेज और सबूत अदालत में पेश किए हैं। एक मामले में 24 और दूसरे में 28 गवाह हैं। हाईकोर्ट में आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज की जा चुकी हैं।
दिन में दिहाड़ी, शाम को जिम और रात में वारदात करते… बदमाशों ने मौज मस्ती करने के लिए गैंग बनाई। दिन में कोई सब्जी की रेड़ी लगाता, कोई मजदूरी करता, शाम में जिम जाते। रात में पेट्रोल पंप के पास सुनसान इलाके में शराब पार्टी करते। महिला के साथ बाइक पर गुजरने वाले का पीछा करते। लूट की वारदात करते। महिला को सुनसान इलाके में ले जाकर दुष्कर्म करते और वीडियो बनाते। उसके बाद महिला के गांव से 2-3 किमी पहले बाइक पर छोड़कर आ जाते। 7 आरोपियों में दो सगे भाई हैं। आरोपी पुष्कर और दीपक के छोटी-छोटी बच्चियां भी हैं। अन्य आरोपियों में दीपक कीर, उमेश कीर, इरफान, प्रकाश मीना और जमना शंकर मीना है।
एसपी की समझाइश पर दो ने केस दर्ज कराया, बाकी डर से आज तक बाहर नहीं आईं आईओ संदीप सिंह ने बताया ये अपराधी पहले से ही कई वारदातों में शामिल थे। धरियावद पुलिस ने वजपुरा मार्ग पर तीन बदमाशों को लूट की साजिश रचते गिरफ्तार किया। लेकिन इनके मोबाइल से दिल दहला देने वाले वीडियो मिले। जांच तत्कालीन एसपी डॉ. अमृता दुहान पहल पर ही दो महिलाओं ने केस दर्ज कराया।
बयान दर्ज करते समय रो पड़ी थीं जज
अभियोजक तरुण दास बैरागी ने बताया-यह मामला केस ऑफिसर स्कीम के तहत था। एसपी के निर्देशन में एक पूरी टीम गठित की गई थी। तात्कालिक एसपी अमृता दुहान इस मामले की केस ऑफिसर थीं। पीड़ितों को गांव से लेकर कोर्ट तक पुलिस जीप में सुरक्षित लाया जाता था, ताकि उनके साथ किसी भी प्रकार की अनहोनी न हो। उन्हें पुलिस सुरक्षा भी प्रदान की गई थी।
आरोपी मोबाइल पर वीडियो बनाकर पीड़ित युवतियों को डराते-धमकाते थे और बार-बार दुष्कर्म के लिए मजबूर करते थे, ताकि वे उनके खिलाफ किसी के सामने मुंह न खोलें। जिस महिला जज के समक्ष उनके धारा 164 के तहत बयान दर्ज हुए, वह भी पीड़ितों की आपबीती सुनकर भावुक हो उठीं।
अभियोजक बोले-केस पढ़ते हुए हाथ कांपते हैं
अभियोजक बोले-आरोपियों ने पाशविकता (पशुओं जैसा व्यवहार) की हदें पार कर दीं। आज भी केस को पढ़ता हूं मेरे हाथ कांपते हैं, शब्दों में बयान नहीं कर सकता हूं। एक शरीर को नोच रहा था, दूसरा दुष्कर्म कर रहा था, तीसरा वीडियो बना रहा था। इस तरह उन्होंने पूरी घटना को अंजाम दिया। यदि कोई विरोध करता तो उसे थप्पड़ों से मारकर चुप करा दिया जाता।